मगर अपने काम, सबके भलाई को दृष्टि में रखते हुए करते हैं, तब वह इबादत ही हो जाती है …. ” मगर अपने काम, सबके भलाई को दृष्टि में रखते हुए करते हैं, तब वह इबादत ही हो जाती ...
अगर हर बात के लिए दोषी औरत ही है तो क्यों नवाज़ते हो उसे इतने बड़े बड़े खिताबों से...देवी, अगर हर बात के लिए दोषी औरत ही है तो क्यों नवाज़ते हो उसे इतने बड़े बड़े खिताबों से....
क्या कभी कुचलने फन कोई, आगे बढ़कर भी आएगा। क्या कभी कुचलने फन कोई, आगे बढ़कर भी आएगा।
सीरत की कीमत वही जानता है जिसने सूरत से धोखा खाया हो सीरत की कीमत वही जानता है जिसने सूरत से धोखा खाया हो
एक कटाक्ष उन इज़्ज़तदारो पर जिन्हें दूसरों की बेइज़्ज़ती करने में ज़रा भी संकोच नही होता। एक कटाक्ष उन इज़्ज़तदारो पर जिन्हें दूसरों की बेइज़्ज़ती करने में ज़रा भी संकोच नही...
वह अगले कई पौने तीन मिनट वहाँ रुकने का मन बना चुका था। वह अगले कई पौने तीन मिनट वहाँ रुकने का मन बना चुका था।